दानमेकं कलौ युगे, मनुस्मृति के इन शब्दों का जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज मूर्तिमान स्वरूप थे। स्वयं के लिए आपने सम्पूर्ण विश्व में एक मकान या एक कक्ष तो क्या एक गज जमीन भी नहीं खरीदी, बल्कि अपनी पैतृक सम्पत्ति (जमीन, जायदाद, मकान आदि) बहुत पूर्व ही ट्रस्ट को दान कर दी थी। ट्रस्ट में कोई पद भी स्वीकार नहीं किया। इतना ही नहीं आपने सन् 1965 में भारत चीन के युद्ध के समय अपना जगद्गुरु का रजत सिंहासन भी भारतीय रक्षा कोष में दान दे दिया था। अपना सब कुछ देकर अपने आपको भी जीव-कल्याण हित पूर्णतया समर्पित कर दिया। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज अनंत महिमा का वर्णन शब्दों में असंभव है।
जहाँ आध्यात्मिक क्षेत्र में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज प्रवचन अज्ञान रूपी अन्धकार को दूर करने में सहस्त्रों सूर्यों के समान हैं एवं ब्रजरस से ओतप्रोत उनके द्वारा विरचित संकीर्तन पत्थर से पत्थर हृदय को भी प्रेम रस में निमज्जित करने वाली अविरल भक्ति-धारा है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज सामाजिक कार्यों में भी उनका योगदान अवर्णनीय है।
अपने 'कृपालु' नाम के अनुरूप ही जीवों पर कृपा की वर्षा करते रहे। वे सदैव दीन दुखियों की सेवा के लिए तत्पर रहते थे।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने समाज के अभावग्रस्त पीड़ित जनों की दुर्दशा से अत्यन्त विह्वल चित्त होकर, स्वयं झोली पकड़कर, लोगों से माँग-माँगकर निःशुल्क चिकित्सा एवं महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसके अतिरिक्त वर्ष में अनेकों बार विशाल ब्रह्म भोज, साधु एवं निराश्रित महिला सेवा, स्कूलों के बच्चों को जीवनोपयोगी एवं पढ़ाई से सम्बन्धित सभी सामग्री, ग्रामवासियों, मजदूरों, दिव्यांगजनों, नेत्रहीनों एवं कुष्ठ रोगियों को खाद्यान्न, जीवनोपयोगी सामग्री का वितरण एवं आर्थिक सहायता कार्यक्रम का आयोजन करके वे मुक्त हस्त से इतना अधिक दान देते थे कि देखने वाले अचंभित रह जाते थे।
इसके अतिरिक्त जगद्गुरु कृपालु परिशत् राष्ट्रीय आपदाओं के समय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष व अन्य कोष में आर्थिक सहयोग करने में भी जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज पीछे नहीं रहते थे।
राष्ट्रीय आपदाओं में सहयोग | ||
26.1.2001 | गुजरात भूकम्प | 10 लाख |
11.1.2005 | सुनामी सहायता | 15 लाख |
3.9.2008 | बिहार बाढ़ | 2 करोड़ |
24.6.2013 | उत्तराखण्ड बाढ़ | 1 करोड़ 5 लाख |
23.9.2014 | जम्मू-कश्मीर | 2 करोड़ |
भविष्य में भी ये सब दानादि के कार्य निर्बाध रूप से चलते रहें, इसके लिए आपने जगद्गुरु कृपालु परिशत् श्यामा श्याम धाम, वृन्दावन एवं जगद्गुरु कृपालु परिशत् भक्ति-धाम, मनगढ़ में निर्धन सहायता कोष की भी स्थापना की। अस्पतालों एवं शिक्षण संस्थानों के लिये भी 'भविष्य निधि' जमा करा दी गई है।
निष्कर्ष :- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के जीवन की महानता, उनके दान, और मानवता के प्रति उनके असीम समर्पण को शब्दों में बांधना असंभव है। उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत संसाधनों का दान किया, बल्कि अपने पूरे जीवन को मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी दानशीलता और करुणा के कारण वे सचमुच महादानी थे। उनके द्वारा स्थापित कोष और संस्थान आज भी उनके द्वारा प्रारंभ किए गए दान कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी असीम दया और सेवा की भावना हमें प्रेरित करती है कि हम भी समाज और मानवता की सेवा में अपना योगदान दें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।
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