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Writer's pictureKripalu Ji Maharj Bhakti

जगद्‌गुरु कृपालु साहित्य: भक्तियोग प्राधान्य और विलक्षण दार्शनिक सिद्धांत


जगद्गुरु कृपालु महाराज
जगद्‌गुरु कृपालु साहित्य

जगद्‌गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित साहित्य का भक्तियोग में विशेष स्थान है। उनके ग्रंथों में आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेम रस और भक्ति का अनमोल खजाना संचित है। आइए, उनके प्रमुख ग्रंथों पर एक दृष्टि डालते हैं:


  1. प्रेम रस सिद्धान्त :- इस ग्रंथ में आनंदप्राप्ति का सर्वसुगम मार्ग बताया गया है। जगद्‌गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने वेदों और शास्त्रों के प्रमाणों के अतिरिक्त दैनिक उदाहरणों द्वारा इस विषय का निरूपण सरल भाषा में किया है, जिससे साधक को आत्मानुभूति की प्राप्ति हो सके।

  2. प्रेम रस मदिरा :- प्रेम रस मदिरा काव्य जगत् का अनमोल रत्न है। इसमें राधाकृष्ण प्रेम रस की निर्मल धारा प्रवाहित होती है, जो संसारी दुःखों से तप्त हृदयों को शीतलता प्रदान करती है।

  3. ब्रज रस माधुरी :- ब्रज रस माधुरी में ब्रजरस धारा प्रवाहित करते हुए विभिन्न राग तथा छंदों में रचित दिव्य संकीर्तन और कव्वाली का संग्रह है। यह ग्रंथ भक्तों को ब्रज की मधुर लीलाओं से सराबोर कर देता है।

  4. राधा गोविंद गीत :- यह ग्रंथ 1111 दोहों के रूप में समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं अन्यान्य धर्मग्रंथों का सार है। इसमें श्री राधा और श्री गोविंद के प्रेम का निरूपण किया गया है।

  5. श्यामा श्याम गीत :- श्यामा श्याम गीत में श्री राधाकृष्ण की मधुर लीलाओं का सुललित वर्णन है। यह ग्रंथ श्यामा श्याम के प्रेम रस में सराबोर कर देता है।

  6. भक्ति शतक :- भक्ति शतक भक्ति तत्त्व का निरूपण करने वाले व्याख्या सहित रत्नरूपी दोहों का एक अनुपम अद्वितीय ग्रंथ है। इसमें 100 दोहों के रूप में समस्त वेदों, शास्त्रों, पुराणों एवं अन्यान्य धर्मग्रंथों का सार है।

  7. मैं कौन? मेरा कौन? :- वैदिक संस्कृति का पुनर्जागरण करने वाली ऐतिहासिक प्रवचन श्रृंखला है। यह ग्रंथ आध्यात्मिक जगत की समस्त शंकाओं का समाधान प्रस्तुत करता है।

  8. कृपालु भक्ति धारा :- इस ग्रंथ में शास्त्रीय सिद्धांतों का सरलतम निरूपण अनमोल दोहों के रूप में व्याख्या सहित किया गया है। प्रतिदिन की शुरूआत एक नये दोहे के साथ करने के लिए यह ग्रंथ अवश्य पढ़ें।

  9. युगल माधुरी :- यह ग्रंथ श्री राधा तत्त्व, श्री कृष्ण तत्त्व तथा गुरु तत्त्व पर आधारित सरल एवं सरस संकीर्तनों का संग्रह है।

  10. युगल रस (अर्थ सहित) :- इस ग्रंथ में श्री राधाकृष्ण की मधुरातिमधुर लीलाओं का वर्णन और सिद्धांत पक्ष का समावेश किया गया है।

  11. युगल शतक (अर्थ सहित) :- इस ग्रंथ में ब्रजरस से ओतप्रोत श्री राधा एवं श्रीकृष्ण के 100 पद भावार्थ सहित संकलित किये गये हैं।

  12. श्रीकृष्ण द्वादशी एवं श्री राधा त्रयोदशी :- इस ग्रंथ में श्री राधारानी एवं श्रीकृष्ण के रूपध्यान का निरूपण आकर्षक एवं अनूठे ढंग से किया गया है।


जगद्‌गुरु श्री कृपालु जी महाराज के ये ग्रंथ न केवल भक्ति और प्रेम रस की धारा प्रवाहित करते हैं, बल्कि साधकों को आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मानुभूति की ओर भी प्रेरित करते हैं। उनके साहित्य का अध्ययन करने से हमें जीवन के उच्चतम आदर्शों की प्राप्ति होती है और हम आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।

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